CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT SHIV CHAISA

Considerations To Know About Shiv chaisa

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शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

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दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

हनुमान चालीसा लिरिक्स

जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। shiv chalisa lyricsl करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥

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